केदारेश्वर मंदिर, वाराणसी
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बनारस में केदार घाट के पास केदारेश्वर मंदिर है। यह मंदिर 17वीं श्ाताब्दी में औरंगजेब के कहर से बच गया था। इसी के समीप गौरी कुण्ड है। इसी को आदि मणिकार्णिका या मूल मणिकार्णिका कहा जाता है।
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मणिकार्णिका घाट के समीप विष्णु चरणपादुका है। इसे मार्बल से चिन्हित किया गया है। इसे काशी का पवित्रतम स्थान कहा जाता है। अनुश्रुति है कि भगवान विष्णु ने यहां ध्यान लगाया था। इसी के समीप मणिकार्णिका कुण्ड है। माना जाता है कि भगवान शिव का मणि तथा देवी पार्वती का कर्णफूल इस कुण्ड में गिरा था। चक्रपुष्करर्णी एक चौकोर कुण्ड है। इसके चारो ओर लोहे की रेलिंग बनी हूई है। इसे विश्व को पहला कुण्ड माना जाता है।
यहां का काली भैरव मंदिर भी प्रसिद्ध है। यह मंदिर गोदौलिया चौक से 2 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में टाउन हॉल के पास स्थित है। इसमें भगवान शिव की रौद्र मूर्त्ति स्थापित है। इसी के नजदीक बिंदू माधव जी का मंदिर है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है।
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