Loading AI tools
किब्बर (Kibber) या क्यिब्बर (Kyibar) भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के लाहौल और स्पीति ज़िले में स्थित एक गाँव है। यह स्पीति घाटी में 4,270 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।[1][2][3]
किब्बर Kibber | |
---|---|
सर्दियों में किब्बर ग्राम | |
निर्देशांक: 32.341°N 78.026°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | हिमाचल प्रदेश |
ज़िला | लाहौल और स्पीति ज़िला |
ऊँचाई | 4270 मी (14,010 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 366 |
भाषा | |
• प्रचलित | स्पीति, हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
गोंपाओं और मठों की इस धरती में प्रकृति के विभिन्न रूप परिलक्षित होते हैं। कभी घाटियों में फिसलती धूप देखते ही बनती है तो कभी खेतों में झूमती फसलें मन मोह लेती हैं। कभी यह घाटी बर्फ के दोशाले में दुबक जाती है तो कभी बादलों के टुकडे यहां के खेतों और घरों में बगलगीर होते दिखते हैं। घाटी में कहीं सपाट बर्फीला रेगिस्तान है तो कहीं हिम शिखरों में चमचमाती झीलें।[4]
समुद्र तल से इतनी ऊंचाई पर स्थित किब्बर ग्राम में खड़े होकर ऐसा लगता है मानो आसमान अधिक दूर नहीं है। बस थोडा़ सा हवा में ऊपर उठो और आसमान छू लो। यहां खडे होकर दूर-दूर तक बिखरी मटियाली चट्टानों, रेतीले टीलों और इन टीलों पर बनी प्राकृतिक कलाकृतियों से परिचित हुआ जा सकता है। लगता है कि इस धरती पर कोई अनाम कलाकार आया होगा जिसने अपने कलात्मक हाथों से इन टीलों को कलाकृतियों का रूप दिया और फिर इन कलाकृतियों में प्राण फूंककर यहां से विदा हो गया।
किब्बर ग्राम में पहुंचने के लिये कुंजम दर्रे से होकर स्पीति घाटी पहुंचना होता है। इसके बाद १२ किमी का रास्ता बहुत कठिन है, लेकिन ज्यों ही लोसर ग्राम में पहुंचते हैं, शरीर ताजादम हो उठता है। स्पीति नदी के दाईं ओर स्थित लोसर, स्पीति घाटी का पहला ग्राम है। लोसर से स्पीति उपमंडल के मुख्यालय, काजा की दूरी ५६ किमी है और रास्ते में हंसा, क्यारो, मुरंग, समलिंग, रंगरिक जैसे जैसे कई सुंदर ग्राम आते हैं। काजा से किब्बर २० किमी दूर है।[5]
यहां के लोग नाच-गानों के बहुत शौकीन हैं। यहां के लोकनृत्यों का अनूठा ही आकर्षण है। यहां की युवतियां जब अपने अनूठे परिधान में नृत्यरत होती हैं तो नृत्य देखने वाला मंत्रमुग्ध हो उठता है। दक्कांग मेला यहां का मुख्य उत्सव है जिसमें किब्बर के लोकनृत्यों के साथ-साथ यहां की अनूठी संस्कृति से भी साक्षात्कार किया जा सकता है।
किब्बर वासियों का पहनावा भी निराला है। महिलाएं और पुरुष दोनों ही चुस्त पायजामा पहनते हैं। सर्दी से बचने के लिए पायजामे को जूते के अंदर डालकर बांध दिया जाता है। इस जूते को ल्हम कहा जाता है। इस जूते का तला तो चमडे का होता है और ऊपरी भाग गर्म कपडे़ से निर्मित होता है। ग्राम की महिलाओं के मुख्य पहनावे हैं - हुजुक, तोचे, रिधोय, लिगंचे और शमों। सर्दियों में यहां की महिलाएं लोम, फर की एक सुंदर सी टोपी पहनती हैं। इसे शमों कहा जाता है। गांव के पुरुष और महिलाएं गहनों के भी बहुत शौकीन हैं।[6]
किब्बर ग्राम में विवाह की परंपराएं भी निराली हैं। प्राचीन समय से ही यहां विवाह की एक अनूठी प्रथा रही है। इस प्रथा के अनुसार यदि किसी युवती को कोई युवक पसंद आ जाए तो वह युवती से किसी एकांत स्थल में मिलता है और उसे कुछ धनराशि भेंट करता है, जिसे स्थानीय भाषा में अंग्या कहा जाता है। यदि लड़की इस भेंट को स्वीकार कर ले तो समझा जाता है कि वह विवाह के लिए तैयार है। लेकिन यदि लडकी भेंट स्वीकार करने से मना कर दे तो यह उसकी विवाह के प्रति अस्वीकृति मानी जाती है। किब्बर में आकर जब पर्यटक यहां की प्राकृतिक छटा, अनूठी संस्कृति, निराली परंपराओं और बौद्ध मठों से परिचित होते हैं तो वे स्वयं को एक नई दुनिया में पाते हैं। किब्बर में एक बार की गई यात्रा की स्मृतियां जीवन भर के लिए उनके मानसपटल पर अंकित हो जाती हैं।
Seamless Wikipedia browsing. On steroids.
Every time you click a link to Wikipedia, Wiktionary or Wikiquote in your browser's search results, it will show the modern Wikiwand interface.
Wikiwand extension is a five stars, simple, with minimum permission required to keep your browsing private, safe and transparent.