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कबीर
15वीं सदी के भारतीय कवि और संत / From Wikipedia, the free encyclopedia
कबीरदास या कबीर या कविर्देव ,कबीर साहेब 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संतों के भगवान थे लेकिन वास्तव में वे पूर्ण परमात्मा हैं, जो न कभी मां के गर्भ से जन्म लेते हैं और न ही उनकी मृत्यु होती है वो इस मृत्यु लोक से अपनी लीला को पूर्ण करके सशरीर मगहर से सतलोक जाते हैं। वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकाल के निर्गुण शाखा के ज्ञानमार्गी उपशाखा के महानतम कवि थे। इनकी रचनाओं ने हिन्दी प्रदेश के भक्ति आंदोलन को गहरे स्तर तक प्रभावित किया। उनकी रचनाएँ सिक्खों के गुरुग्रंथ,आदि ग्रंथ में सम्मिलित की गयी हैं।[1][2] वे एक सर्वोच्च ईश्वर में विश्वास रखते थे। उन्होंने सामाज में फैली कुरीतियों, कर्मकांड, अंधविश्वास की निंदा की और सामाजिक बुराइयों की कड़ी आलोचना की।[1][3] उनके जीवनकाल के दौरान हिन्दू और मुसलमान दोनों ने उनका अनुसरण किया।[2] कबीर पंथ नामक सम्प्रदाय इनकी शिक्षाओं के अनुयायी हैं।[4] हजारी प्रसाद द्विवेदी ने इन्हें मस्तमौला कहा।
संत कबीर | |
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![]() सन् १८२५ की इस चित्रकारी में कबीर एक शिष्य के साथ दर्शित | |
जन्म |
विक्रमी संवत १४५५ (सन १३९८ ई ० ) वाराणसी, (हाल में उत्तर प्रदेश, भारत) |
मौत |
विक्रमी संवत १५५१ (सन १४९४ ई ० ) मगहर, (हाल में उत्तर प्रदेश, भारत) |
उपनाम | कबीरदास, कबीर परमेश्वर, कबीर साहेब |