उच्च-वोल्टता डीसी पारेषण (high-voltage, direct current transmission) बड़ी मात्रा में विद्युत शक्ति के पारेषण की विधि है जिसमें विद्युत शक्ति परम्परागत एसी के बजाय डीसी रूप में भेजी जाती है। इसके कुछ विशिष्ट लाभ हैं; जैसे - लम्बी दूरी तक विद्युत शक्ति भेजने के लिये यह विधि सस्ती पड़ती है; इसमें उर्जा का क्षय कम होता है; कई लाइनों को आपस में जोड़ना आसान है (सिन्क्रोनाइजेशन की समस्या नहीं होती) आदि।

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लम्बी दूरी की एक उच्च-वोल्टता डीसी पारेषण लाइन
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एकध्रुवी (मोनोपोल) HVDC प्रणाली का ब्लॉक चित्र
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द्विध्रुवी (bipolar) HVDC प्रणाली का ब्लॉक चित्र
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HVDC प्रणाली के लिये उपयुक्त १२ पल्स वाला SCR ब्रिज रेक्टिफायर

इतिहास

आधुनिक समय में प्रयुक्त एचवीडीसी पारेषण में १९३० के दशक में स्वीडेन के ASEA द्वारा विकसित तकनीक काम में आती है। इस तकनीक से विद्युत शक्ति भेजने वाली सबसे पुरानी लाइने सन् १९५१ में सोवियत संघ में मास्को और कसिरा के बीच, स्वीडेन और गोटलैण्ड के बीच १०-२० मेगावाट की सन् १९५४ में बनी लाइने आदि हैं। इस समय इस तरह की सबसे लम्बी पारेषण लाइन इंगा-सबा (Inga-Shaba) है जो १७०० किमी लम्बी है। यह कांगो के इंगा बांध से लेकर सबा कॉपर खान तक ६०० मेगावाट बिजली भेजती है।

भारत में कई एचवीडीसी परियोजनाएं हैं[1]|

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