ईश्वर चन्द्र विद्यासागर
भारतीय दार्शनिक, अकादमिक, लेखक, अनुवादक, उद्यमी, समाज सुधारक और परोपकारी / From Wikipedia, the free encyclopedia
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर (२६ सितम्बर १८२० – २९ जुलाई १८९१) उन्नीसवीं शताब्दी के बंगाल के प्रसिद्ध दार्शनिक, शिक्षाविद, समाज सुधारक, लेखक, अनुवादक, मुद्रक, प्रकाशक, उद्यमी और परोपकारी व्यक्ति थे। वे बंगाल के पुनर्जागरण के स्तम्भों में से एक थे। उनके बचपन का नाम ईश्वर चन्द्र बन्द्योपाध्याय था। संस्कृत भाषा और दर्शन में अगाध पाण्डित्य के कारण विद्यार्थी जीवन में ही संस्कृत कॉलेज ने उन्हें 'विद्यासागर' की उपाधि प्रदान की थी।
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर | |
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जन्म | ईश्वरचंद्र बंदोपाध्याय {{{3}}} {{{1}}} Birsingha, Bengal Presidency, British India (now in West Bengal, India)ਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
मौत | 29 जुलाई 1891(1891-07-29) (उम्र 70) Calcutta, Bengal Presidency, British India (now Kolkata, West Bengal, India)ਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
कब्र | ਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
पेशा | Writer, philosopher, scholar, educator, translator, publisher, reformer, philanthropist |
भाषा | बाङ्ला |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
उच्च शिक्षा | Sanskrit College (1828-1839) |
आंदोलन | बंगाल का पुनर्जागरण |
जीवनसाथी | Dinamani Devi |
बच्चे | Narayan Chandra Bandyopadhyaya |
रिश्तेदार | Thakurdas Bandyopadhya (father) Bhagavati Devi (mother) |
वे नारी शिक्षा के समर्थक थे। उनके प्रयास से ही कलकत्ता में एवं अन्य स्थानों में बहुत अधिक बालिका विद्यालयों की स्थापना हुई।
उस समय हिन्दू समाज में विधवाओं की स्थिति बहुत ही शोचनीय थी। उन्होनें विधवा पुनर्विवाह के लिए लोकमत तैयार किया। उन्हीं के प्रयासों से 1856 ई. में विधवा-पुनर्विवाह कानून पारित हुआ। उन्होंने अपने इकलौते पुत्र का विवाह एक विधवा से ही किया। उन्होंने बाल विवाह का भी विरोध किया।
बांग्ला भाषा के गद्य को सरल एवं आधुनिक बनाने का उनका कार्य सदा याद किया जायेगा। उन्होने बांग्ला लिपि के वर्णमाला को भी सरल एवं तर्कसम्मत बनाया। बँगला पढ़ाने के लिए उन्होंने सैकड़ों विद्यालय स्थापित किए तथा रात्रि पाठशालाओं की भी व्यवस्था की। उन्होंने संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए प्रयास किया। उन्होंने संस्कृत कॉलेज में पाश्चात्य चिन्तन का अध्ययन भी आरम्भ किया।
सन २००४ में एक सर्वेक्षण में उन्हें 'अब तक का सर्वश्रेष्ठ बंगाली' माना गया था।