इलाहाबाद उच्च न्यायालय
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इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का उच्च न्यायालय है। भारत में स्थापित सबसे पुराने उच्च न्यायालयों में से एक है। यह १८६९ से कार्य कर रहा है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय | |
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इलाहाबाद में उच्च न्यायालय भवन | |
स्थापना |
17 मार्च 1866 (आगरा में) 1869 (इलाहाबाद में) |
अधिकार क्षेत्र | भारत |
स्थान |
मुख्य शाखा: प्रयागराज स्थायी शाखा: लखनऊ |
निर्देशांक | 25°27′11″N 81°49′14″E |
निर्वाचन पद्धति | भारत के सर्वोच्च न्यायाधीश एवं सम्बंधित राज्य के राज्यपाल की सलाह के साथ राष्ट्रपति। |
प्राधिकृत | भारत का संविधान |
निर्णय पर अपील हेतु | भारत का सर्वोच्च न्यायलय |
न्यायाधीशको कार्यकाल | 62 वर्ष की आयु में आवश्यक सेवानिवृत्ति |
पदों की संख्या |
160 {स्थायी 76; अतिरिक्त 84} |
जालस्थल | www.allahabadhighcourt.in |
मुख्य न्यायाधीश | |
वर्तमान | अरुण भंसाली |
कार्य प्रारम्भ | ५ फरवरी २०२४ |
इलाहाबाद उच्च न्यायालय मूल रूप से ब्रिटिश राज में भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम 1861 के अन्तर्गत आगरा में 17 मार्च 1866 को स्थापित किया गया था। उत्तरी-पश्चिमी प्रान्तों के लिए स्थापित इस न्यायाधिकरण के पहले मुख्य न्यायाधीश थे सर वाल्टर मॉर्गन। सन् 1869 में इसे आगरा से इलाहाबाद स्थानान्तरित किया गया। 11 मार्च 1919 को इसका नाम बदल कर 'इलाहाबाद उच्च न्यायालय' रख दिया गया।[1]
2 नवम्बर 1925 को अवध न्यायिक आयुक्त ने अवध सिविल न्यायालय अधिनियम 1925 की गवर्नर जनरल से पूर्व स्वीकृति लेकर संयुक्त प्रान्त विधानमण्डल द्वारा अधिनियमित करवा कर इस न्यायालय को अवध चीफ कोर्ट के नाम से लखनऊ में प्रतिस्थापित कर दिया। काकोरी काण्ड का ऐतिहासिक मुकद्दमें का निर्णय अवध चीफ कोर्ट लखनऊ में ही दिया गया था।
25 फरवरी 1948 को, उत्तर प्रदेश विधान सभा ने एक प्रस्ताव पारित कर राज्यपाल द्वारा गवर्नर जनरल को यह अनुरोध किया गया कि अवध चीफ कोर्ट लखनऊ और इलाहाबाद हाई कोर्ट को मिलाकर एक कर दिया जाये। इसका परिणाम यह हुआ कि लखनऊ और इलाहाबाद के दोनों (प्रमुख व उच्च) न्यायालयों को 'इलाहाबाद उच्च न्यायालय' नाम से जाना जाने लगा तथा इसका सारा कामकाज इलाहाबाद से चलने लगा। हाँ इतना जरूर हुआ कि हाई कोर्ट की एक स्थाई बेंच लखनऊ में बनी रहने दी गयी जिससे सरकारी काम में व्यवधान न हो।
जब उत्तराखण्ड के राज्य का गठन 2000 में हुआ, उच्च न्यायालय के कार्यक्षेत्र में से उत्तराखण्ड के तेरह जिले निकाल कर उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय से सम्बद्ध कर दिये गये जिसका मुख्यालय नैनीताल में है।
दिसम्बर २०१८ में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने निर्णय लिया है कि वर्ष २०१९ के जनवरी माह से सभी निर्णयों की हिन्दी में अनूदित प्रति भी उपलब्ध करायी जाएगी। [2][3]
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