आल्चीना
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आल्चीना जॉर्ज फ़्राईडरिक हेन्डल द्वारा रचित एक एक ओपेरा सेरीआ है। हेन्डल ने अपनी रचना में रिकार्डो ब्रोशी द्वारा रचित तथा 1728 में रोम में प्रदर्शित ओपेरा ल इसोला दि आल्चीना (इतालवी: L'isola di Alcina) के लिब्रेटो का प्रयोग किया था, जो उन्हें उनके इटली प्रवास के दौरान प्राप्त हुआ था।[1][2] यह कथानक प्रारंभ में लुडोविको आरिओस्टो की रचना ओरलान्डो फ़्यूरिओसो - जो कि शारलेमेन के इस्लाम के विरुद्ध युद्धों पर आधारित एक महाकाव्य है - से लिया गया था, परन्तु संगतता की दृष्टि से उसमें कुछ संशोधन भी किये गये थे।.
पात्र | गायन प्रकार | प्रथम प्रदर्शन, 16 अप्रैल 1735 (परिचालक : जॉर्ज फ़्राईडरिक हेन्डल)[3] के कलाकार |
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आल्चीना, एक मायाविनी | सोपरानो | ऐना मारिया स्त्रादा देल पो |
मोर्गाना, उसकी बहन | सोपरानो | सिसीलिया यंग |
ओबेर्टो, अपने पिता की खोज में निकला एक बालक | बालक सोपरानो | विलियम सैवेज |
रुजीयेरो, एक योद्धा | मध्य-सोपरानो कास्त्रातो | जिओवानी कारेस्तीनी |
ब्रादामान्टे, रुजीयेरो की मंगेतर, अपने ही भाई, योद्धा रिचिआर्डो के भेष में | मध्य-सोपरानो | मारिया काटेरीना नेग्री |
ओरोंटे, मोर्गाना का प्रेमी | टेनोर | जॉन बेअर्ड |
मेलिसो, रुजीयेरो का पूर्व अनुशिक्षक | बास | गुस्तावस वाल्ट्ज |
इस ओपेरा का कथानक ओर्लाण्डो फ्यूरियोसो नामक कविता पर आधारित है। वीर योद्धा रुजीयेरो कि नियति में एक छोटा लेकिन गौरवशाली जीवन लिखा है और इसलिए एक उदार जादूगर सदा उसे उसकी मंगेतर ब्रादामान्टे से दूर ले जाने की कोशिश करता रहता है। ब्रादामान्टे चुप न बैठ कर खुद ही अपने मंगेतर की खोज में निकल पड़ती है। ओपेरा के प्रारंभ से ठीक पहले ही वह रुजीयेरो को एक जादुई किले से बचाती है, लेकिन किले से बाहर आते ही उसका उड़न-घोड़ा रुजीयेरो को लेकर उड़ जाता है और समुद्र के बीच एक टापू पर उतरता है। जैसे ही उड़न-घोड़ा एक झाड़ी को खाना शुरू करता है, रुजीयेरो उस झाड़ी को बोलता सुन कर चकित रह जाता है। वह झाड़ी उसे बताती है कि वह वास्तव में सर आस्तोल्फो नामक योद्धा है जिसे उस टापू की स्वामिनी मायाविनी बहनों आल्चीना और मोर्गाना ने अपने जादू के ज़ोर से मेहंदी के पौधे में बदल दिया है। रूपवती जादूगरनी आल्चीना अपने द्वीप पर पहुँचने वाले सभी पुरुषों को फुसला कर अपने प्रेमपाश में बाँध लेती है, लेकिन फिर जल्दी ही अपने ऐसे प्रेमियों से उब कर अपनी माया से उन्हें पत्थर, पशुओं, वृक्षों या अपनी पसंद की अन्य किसी भी वस्तु में परिवर्तित कर देती है। आस्तोल्फो की चेतावनी के बावजूद रुजीयेरो इस मायाविनी से मिलने जाता है - और उसके जादू में फँस जाता है।
फ़िर से अपने प्रेमी की तलाश करते हुए ब्रादामान्टे रुजीयेरो के पूर्व शिक्षक मेलीसो के साथ आल्चीना के टापू पर पहुँचती है। कवच धारण कर ब्रादामान्टे एक पुरुष की तरह दिख़ती है और अपने ही भाई रिचीआर्डो होने का अभिनय करती है। उसके और मेलीसो के पास एक जादुई अंगूठी होती है जिसका प्रयोग कर के वे दोनों आल्चीना के मायजाल को तोड़ कर उसके बँधकों को छुड़ाने की योजना बनाते हैं।
टापू पर उनकी मुलाकात सबसे पहले जादूगरनी मोर्गाना से होती है। मानवीय भावनाओं और सच्चे प्रेम की समझ से रहित मोर्गाना रुपवान 'रिचीआर्डो' को देखते ही उस पर मोहित हो जाती है और अपने प्रेमी ओरोंटे का परित्याग कर देती है। मोर्गाना नये आगंतुकों को आल्चीना के दरबार में ले जाती है, जहाँ ब्रादामान्टे यह देखकर निराश हो जाती है कि रुजीयेरो पूरी तरह से आल्चीना के मोहपाश में बँध कर अपने पूर्व जीवन के बारे में सब कुछ भूल चुका है। आल्चीना के दरबार में उनकी मुलकात एक बालक ओबेर्टो से भी होती है जो अपने पिता आस्तोल्फ़ो, जिसे अंतिम बार इस टापू की ओर जाते हुए देखा गया था, की खोज़ में निकला है। ब्रादामान्टे समझ जाती है कि आस्तोल्फ़ो को ज़रूर आल्चीना और मोर्गाना ने अपनी माया से किसी पशु या वस्तु में बदल दिया होगा, लेकिन वह इस विषय पर चुप रह कर रुजीयेरो को बचाने पर अपना ध्यान केन्द्रित करती है। ब्रादामान्टे और मेलीसो रुजीयेरो को इस तरह से मोहाँध हो जाने के लिये फटकारते हैं, लेकिन आल्चीना के जादू में बँधा रुजीयेरो केवल उसके खयालों में डूबा रहता है।
इधर ओरोंटे को पता चलता है कि मोर्गाना रिचिआर्डो पर आसक्त हो गयी है और वह क्रोध में रिचिआर्डो को द्वंद्वयुद्ध कि चुनौती दे बैठता है। मोर्गाना इस लड़ाई को रोक देती है, लेकिन ओरोन्टे अपना आवेश रुजीयेरो पर उतारता है। वह उसे बता देता है कि आल्चीना अपने पूर्व-प्रेमियों का अपनी मायावी शक्ति से क्या हश्र करती है और कहता है कि उसके विचार में रुजीयेरो का भी शीघ्र ही ऐसा ही हश्र होगा, क्योंकि उसे शक है कि आल्चीना रुजीयेरो से उब कर रिचिआर्डो पर मोहित हो गई है। रुजीयेरो यह सुनकर स्तब्ध रह जाता है और क्रोधित हो कर आल्चीना के पास जाता है। स्थिति तब और भी बिगड़ जाती है जब रिचीआर्डो वहाँ आकर आल्चीना से प्रेम करने का ढोंग करता है। आल्चीना रुजीयेरो को शांत करती है, लेकिन ब्रादामान्टे आल्चीना को इस तरह अपने मग़ेतर से प्रेम में देखकर विह्वल हो जाती है और रुजीयेरो को अपनी असली पहचान का भेद बता देती है। मेलिसो को भय होता है कि रुजीयेरो यह भेद आल्चीना को बता देगा और वह तुरंत ब्रादामान्टे की बात का खंडन करता है। ऐसे विरोधाभाषी कथन सुन कर रुजीयेरो भ्रमित हो जाता है।
आल्चीना मोर्गाना से कहती है कि रुजीयेरो को यह दिखाने के लिये कि वह उससे प्रेम करती है और रिचीआर्डो से नहीं, वह रिचीआर्डो को किसी पशु में बदल देगी। रिचीआर्डो पर आसक्त मोर्गाना यह सुनकर भयभीत हो जाती है और रिचीआर्डो को आल्चीना की माया से बचाने के लिये उसे टापू से भाग जाने के लिये कहती है; परंतु रिचिआर्डो कहता है कि वह टापू पर ही रहेगा क्योंकि वह किसी और से प्रेम करता है। यह सुनकर मोर्गाना यह मान कर खुश हो जाती है कि रिचिआर्डो उससे प्रेम करता है और इस अंक का समापन मोर्गाना के हर्षगान टोरनामी आ वाग़ेजा (इतालवी: Tornami a vagheggiar) के साथ होता है।
रुजीयेरो को आल्चीना के जादू से मुक्त करने के लिये मेलिसो उसे अपनी जादुई अंगूठी पहनाता है। अंगूठी के प्रभाव से रुज़ियेरो टापू पर फ़ैले आल्चीना के मायाजाल से मुक्त हो जाता है और टापू को उसके असली रूप - दैत्यों से भरे मरुस्थल - में देख पाता है। स्तंभित रुजीयेरो समझ जाता है कि उसे ज़ल्दी ही तापू को छोड़ना होगा और वह प्रसिद्ध भाव-गान वेर्दी प्राटी (इतालवी: Verdi Prati) गाता है, जिसमें वह स्वीकर करता है कि वह जीवन भर आल्चीना और उसके टापू की मोहक सुन्दरता को भूल नहीं पायेगा, यह जानने के बाद भी यह सुन्दरता केवल एक मायावी भ्रम थी।
मेलीसो रुजीयेरो को सावधान करता है कि आल्चीना जैसी विकट जादूगरनी के टापू से बहर निकलना आसान नहीं होगा और उससे छल से काम लेने के लिये कहता है। वह रुजीयेरो को यह सुझाव देता है कि वह आल्चीना से शिकार पर जाने की अनुमति ले कर अपनी टापू को छोड़ने की योजना को छुपाए। रुजीयेरो यह सुझाव मान लेता है, परंतु वह अब तक आल्चीना के मायाजाल से इतना हताश हो चुका होता है कि जब ब्रादामान्टे अपने असली रूप में उसके सामने आती है तो वह उसे भी आल्चीना द्वारा रचित एक और मरीचिका समझ कर उसे ब्रादामान्टे मानने से मना कर देता है। रुजीयेरो की उपेक्षा से आल्चीना और ब्रादामान्टे दोनों ही निराश हो जाती हैं। रुजीयेरो को अपने प्रेम का प्रमाण देने के लिये आल्चीना वहाँ प्रकट हो कर रिचीआर्डो को पशु-रुप में बदल देने के लिये उद्यत हो जाती है। रिचीआर्डो को इस गंभीर संकट में देख रुजीयेरो शीघ्रता से अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करता है और आल्चीना को विश्वास दिलाता है कि उसे आल्चीना के प्रेम के किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं है। इस बिंदु पर दर्शकों को पता चलता है कि आल्चीना वास्तव में रुजीयेरो से प्रेम करती है।
इधर ओरोन्टे को शक हो जाता है कि रिचीआर्डो, मेलिसो और रुगीयेरो मिलकर कोई योजना बना रहे हैं और मोर्गाना और आल्चीना को भी आभास हो जाता है कि उनके साथ छल किय जा रहा है। पर अब तक बहुत देर हो चुकी होती है : आल्चीना की शक्ति का स्रोत छल और भ्रान्ति है और उसके जीवन में सच्चे प्रेम के आते ही उसकी माया कमज़ोर होने लगती है। इस अंक के अंत में आल्चीना दुष्टात्माओं का आवाह्न कर रुजीयेरो को रोकने की कोशिश करती है, पर रुजीयेरो के प्रति उसके सच्चे प्रेम के कारण उसकी मायावी शक्तियाँ निष्फल हो जाती हैं।
मोर्गाना फ़िर से ओरोन्टे से अपना संबन्ध जोड़ने की इच्छा से उसके पास जाती है। ओरोन्टे उसे झिड़क देता है; परन्तु मोर्गाना के दूर जाते ही स्वीकार करता है कि वह अभी भी मोर्गाना से प्रेम करता है। रुजीयेरो फिर से अपना योद्धोचित स्वाभिमान प्राप्त करता है और उच्च श्रृंगों के साथ एक भाव-गीत गाता है। आल्चीना ओबेर्टो को एक सिंह से मिलाती है और उसे सिंह का वध करने की आज्ञा देती है। ओबेर्टो उस सिंह से एक विचित्र संबन्ध का अनुभव करता है और आल्चीना की आज्ञा मानने से इनकार कर देता है। वह समझ जाता है कि यह सिंह अवश्य ही उसका पिता है, जिसे आल्चीना ने अपनी माया से पशु-रुप में परिवर्तित कर दिया है।[4]
ब्रादामान्टे और रुजीयेरो आल्चीना और मोर्गाना की माया के स्रोत, जिसका निरुपण यहाँ पर एक कलश के रूप में किया गया है, को नष्ट करने का निर्णय करते हैं। आल्चीना उनसे ऐसा नहीं करने की प्रार्थना करती है, लेकिन रुजीयेरो उसके आग्रहों का तिरस्कार कर माया-कलश को नष्ट कर देता है। उसके ऐसा करते ही अकस्मात् चारों ओर विनाश और पुनर्निमाण एक साथ ही प्रारंभ हो जाते हैं। आल्चीना का माया-महल ध्वस्त हो जाता है और मायाविनी बहनें आल्चीना और मोर्गाना धरती में समा जाती हैं। उनके जादू के ज़ोर से रुपांतरित उनके अनेकों पुराने प्रेमी अपने असली रूप में लौट आते हैं: आल्चीना द्वारा ओबेर्टो को दिखाया गया सिंह उसके पिता आस्तोल्फ़ो में बदल जाता है। आल्चीना और मोर्गाना के मायाजाल से छूटे कई अन्य पुरुष उन जादूगरनी बहनों द्वारा उन्हें दी गई मायावी प्रताड़ना का वर्णन करते हैं: उन दोनों ने अपने जादू से किसी को शिला, किसी को वृक्ष और किसी को तो केवल एक समुद्री लहर में बदल दिया था। सभी मनुष्य आल्चीना और मोर्गाना को भुला कर अपनी मुक्ति और प्रसन्नता का उत्सव मनाते हैं।[4]
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