आंग सान सू की
म्यांमार के राज्य परामर्शदाता और लोकतंत्र के लिए राष्ट्रीय लीग के नेता / From Wikipedia, the free encyclopedia
आंग सान सू की (जन्म : 19 जून, 1945) म्यांमार (बर्मा) की एक राजनेता, राजनयिक तथा लेखक हैं। वे बर्मा के राष्ट्रपिता आंग सान की पुत्री हैं जिनकी १९४७ में राजनीतिक हत्या कर दी गयी थी। सू की ने बर्मा में लोकतन्त्र की स्थापना के लिए लम्बा संघर्ष किया।
ऑंन्ग सैन सू की | |
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अध्यक्ष - नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी | |
पदस्थ | |
कार्यालय ग्रहण 18 नवंबर 2011 | |
पूर्वा धिकारी | आंग श्वे |
महासचिव- नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी | |
पद बहाल 27 सितम्बर 1988 – 18 नवम्बर 2011 | |
नेता विपक्ष (म्यामांर की लोक सभा) | |
पद बहाल 2 मई 2012 – 16 नवंबर 2015 | |
राष्ट्रपति | थीन सीन |
पूर्वा धिकारी | साई ऐ पाओ |
उत्तरा धिकारी | हटे ऊ |
प्रतिनिधि सभा म्यामांर (बर्मा) (कवहमु टाउनशिप) | |
पदस्थ | |
कार्यालय ग्रहण 2 मई 2012 | |
जन्म | 19-जून-1945 यांगून (रंगून), बर्मा |
राजनीतिक दल | नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी |
जीवन संगी | माइकल ऐरिस (1971–1999) |
बच्चे | अलेक्जेंडर ऐरिस |
शैक्षिक सम्बद्धता | लेडी श्री राम कॉलेज |
धर्म | थेरवाद (बौद्ध धर्म) |
पुरस्कार/सम्मान | जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार, भगवान महावीर विश्व पुरस्कार |
हस्ताक्षर | |
१९ जून १९४५ को रंगून में जन्मी आंग सान लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई प्रधानमंत्री, प्रमुख विपक्षी नेता और म्यांमार की नेशनल लीग फार डेमोक्रेसी की नेता हैं। आंग सान को १९९० में राफ्तो पुरस्कार व विचारों की स्वतंत्रता के लिए सखारोव पुरस्कार से और १९९१ में नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया है। १९९२ में इन्हें अंतर्राष्ट्रीय सामंजस्य के लिए भारत सरकार द्वारा जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया। लोकतंत्र के लिए आंग सान के संघर्ष का प्रतीक बर्मा में पिछले २० वर्ष में कैद में बिताए गए १४ साल गवाह हैं। बर्मा की सैनिक सरकार ने उन्हें पिछले कई वर्षों से घर पर नजरबंद रखा हुआ था। इन्हें १३ नवम्बर २०१० को रिहा किया गया है।[1]