अमजद ख़ान
हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता / From Wikipedia, the free encyclopedia
अमजद ख़ान (जन्म: 21 अक्टुबर, 1943 निधन: 27 जुलाई, 1992) हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता थे।
अमजद ख़ान | |
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चित्र:AmjadKhan.jpg | |
जन्म |
21 अक्टूबर 1943 बम्बई, ब्रिटिश भारत[1] |
मौत |
27 जुलाई 1992(1992-07-27) (उम्र 48) मुम्बई, महाराष्ट्र, भारत |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
पेशा | फिल्म अभिनेता, निर्देशक |
कार्यकाल | १९६५-१९९२ |
प्रसिद्धि का कारण | गब्बर सिंह |
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अमजद खान का जन्म 1943 में (विभाजन से पूर्व) लाहौर में हुआ था | वह भारतीय फिल्मो में जाने-माने अभिनेता जयंत के पुत्र थे | अभिनेता के रूप में उनकी पहली फिल्म “शोले” थी और यह फिल्म अमजद (Amjad Khan) को शत्रुघ्न सिन्हा के कारण मिली थी , वास्तव में शोले के गब्बर सिंह की भूमिका पहले शत्रु को ही दी गयी थी परन्तु समयाभाव के कारण इनकार कर दिया तो यह भूमिका अमजद खान को मिल गयी |
अभिनय की दुनिया में आने से पूर्व अमजद , के.आसिफ के साथ सहायक निर्देशक के रूप में काम कर रहे थे | सहायक के रूप में काम करने के साथ ही उन्होंने पहली बार कैमरे का सामना किया और के.आसिफ की फिल्म “लव एंड गॉड” के बाद अमजद खान (Amjad Khan) ने चेतन आनन्द की फिल्म “हिंदुस्तान की कसम” में एक पाकिस्तानी पायलट की भूमिका की | ये दोनों ही भूमिकाये ऐसी थी जो न दर्शको को याद रही और न स्वयं अमजद खान को | अंतत “शोले” को ही अमजद की पहली फिल्म मानते है |
शोले के अलावा अमजद खान (Amjad Khan) ने “कुर्बानी” “लव स्टोरी” “चरस” “हम किसी से कम नहीं ” “इनकार” “परवरिश” “शतरंज के खिलाड़ी” “देस-परदेस” “दादा"“ गंगा की सौगंध ” “कसमे-वादे” “मुक्कदर का सिकन्दर” “लावारिस” “हमारे तुम्हारे ” “मिस्टर नटवरलाल” “सुहाग ” “कालिया” “लेडीस टेलर” “नसीब” “रॉकी” “यातना” “सम्राट” “बगावत” “सत्ते पे सत्ता” “जोश” “हिम्मतवाला” आदि सैकंडो फिल्मो में यादगार भूमिकाये की | अमजद खान शराब और अन्य बुरी आद्तो से दूर थे |
निर्देशन भी किया
अमजद खान ने अपने लंबे करियर में ज्यादातर नकारात्मक भूमिकाएँ निभाईं। अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र जैसे सितारों के सामने दर्शक उन्हें खलनायक के रूप में देखना पसंद करते थे और वे स्टार विलेन थे। इसके अलावा उन्होंने कुछ फिल्मों में चरित्र और हास्य भूमिकाएँ अभिनीत की, जिनमें शतरंज के खिलाड़ी, दादा, कुरबानी, लव स्टोरी, याराना प्रमुख हैं। निर्देशक के रूप में भी उन्होंने हाथ आजमाए। चोर पुलिस (1983) और अमीर आदमी गरीब आदमी (1985) नामक दो फिल्में उन्होंने बनाईं, लेकिन इनकी असफलता के बाद उन्होंने फिर कभी फिल्म निर्देशित नहीं की।