अनुप्रस्थ तरंग
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अनुप्रस्थ तरंग उस तरंग को कहते हैं जिसके दोलन तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत होते हैं।[1] इस दृष्टि से अनुप्रस्थ तरंगें, अनुदैर्घ्य तरंगों से अलग हैं जिनमें तरंग की गति दोलन के दिशा में ही होती है। विद्युतचुम्बकीय तरंगें (जैसे प्रकाश, ऊष्मा आदि) अनुप्रस्थ तरंगे होतीं हैं।
यदि एक डोरी लेकर उसके एक सिरे को एक बिन्दु पर बांध दिया जाय, तथा दूसरे सिरे को खींचकर रखते हुए ऊपर-नीचे किया जाय तो इस डोरी में एक अनुप्रस्थ यांत्रिक तरंग स्थापित हो जाती है। इसी प्रकार, ढोलक की तनी हुई झिल्ली पर थाप लगाने से जो तरंग पैदा होती है वह भी अनुप्रस्थ तरंग ही होती है क्योंकि झिल्ली के विभिन्न विन्दुओं का दोलन झिल्ली के तल के लम्बवत होता है जबकि झिल्ली पर स्थापित तरंग झिल्ली के तल की दिशा में गति करती है।