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अक्षरांकन
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अक्षरांकन या सुलेखन लेखन सम्बन्धित एक दृश्य कला है और एक लेखनी, स्याही ब्रश, या अन्य लेखनोपकरण के साथ अक्षरकरण का सज्जन और निष्पादन है। समकालीन सुलेखन को "अभिव्यंजक, सामंजस्यपूर्ण और कौशल्य से प्रतीकों को रूप देने की कला" के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।[1]
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आधुनिक सुलेखन कार्यात्मक शिलालेखों और सज्जाओं से लेकर ललित कला के भागों तक है जहां अक्षर सुपाठ्य हो या नहीं भी हो सकते हैं। शास्त्रीय सुलेखन, मुद्राक्षरांकन और अशास्त्रीय हस्ताक्षरकरण से भिन्न होती है, यद्यपि एक सुलेखक दोनों का अभ्यास कर सकता है।
सुलेखन विवाह निमन्त्रण और आयोजन निमन्त्रण, मुद्राक्षरांकन और अक्षर कला, मूल हस्तलिखित चिह्नांकन, धार्मिक कला, घोषणा, चित्रात्मक सज्जन और अधिकृत सुलेख कला, पाषाणच्छेदित शिलालेख, और स्मारक दस्तावेजों के रूप में प्रफुल्लित होता रहता है। इसका प्रयोग चलच्चित्र और दूरदर्शन हेतु रंगमंच की सज्जा और गतिशील चित्रों हेतु भी किया जाता है, और प्रशंसापत्र, जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र, मानचित्र और अन्य लिखित कार्यों के लिए भी किया जाता है।