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बौद्ध पोथी सभ उ धार्मिक ग्रंथ हऽ जवन बौद्ध परंपरा से जुड़ल बा। पुरान बौद्ध पोथी सभ गौतम बुद्ध के मुअला के कुछ स ताब्दी बाद ले लिखाइल ना रहे। सभसे पुरान बाचल बौद्ध पांडुलिपि गांधार के बौद्ध पोथी सभ बा, अफगानिस्तान मे मिलल आ गांधारी मे लिखाइल ई पोथी सभ, पहिलका सदी ईसा पूर्व से तीसरका सदी ईसा पूर्व ले के बा। पुरान पोथी सभ के मुह से बोल के लोग तक पहुचावल जात रहे बाकिर बादि मे एकनी के अलग अलग इंडो-आर्यन भाषा (जइसे की, पालि, गांधारी आ बौद्ध मेरवन संस्कृत) मे लिख लिहल गइल। जब बौद्ध धम्म के पसार भारत से बहरी हो गइल तऽ एकनी अउरी सभ भासा जइसे बौद्ध चीनी ((फोजीआओ हान्यू, 佛教漢語)) आ तिब्बती मे उलथा कइल गइल।
बौद्ध पोथी सभ के बहुते तरे बाँटल जा सकेला। बौद्ध परंपरा एकनी के अपना हिसाब से जइसे बुद्धवचन मे बहुते सभ के "सुत्त" कहल जाला आ अउरी सभ के "अभीधम्म"।
पोथी सभ अलग अलग भासा, बिधा आ लिखाई मे रहे। कंठस्थ कइल, उच्चारन कइल आ फेर लिखल आध्यात्मिक रूप के नीमन मानल जात रहे। बौद्ध संस्थान सभ के छपाई अपनवला के बादो, बौद्ध सभ हाथ से लिखन बन ना कइलस।
एह सभ पोथी के बचावे के परयास मे, एशिया के बौद्ध संस्थान सभ चीनी कला जइसे की किताब बनावे के, कागज बनावे आ छापे के सभ से पहिले सीखल आ बड़ पैमाना पे कामे लइलस। एहिसे पहिले छपाइल किताब बौद्ध सभ के वज्रच्छेदिकाप्रज्ञापारमितासूत्र (858 ई) हऽ आ पहिला रंगीन छपाई बौद्ध 947 के कुआनीन के चित्र हऽ।
बौद्ध लोग आपन पोथी सभ के केंगा बाँटेला एकरा बूझे ला बुद्धवचन के अवधारना बहुत जरूरी बा। बुद्धवचन के लेख सभ के पबित्तर आ गौतम बुद्ध के दिहल सीख मानल जाला।
महासंघिक आ मुलसब्बअत्थिवाद, बुद्ध आ उनकर चेला सभ, दून्नो के परवचन के बुद्धवचन मानेला। बुद्ध, उनकर चेला, रिसि आ देव लोग बुद्धवचन के सीख दे सकत रहे।
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