अपराध
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आदमी एगो सामाजिक प्राणी ह। ई समाज में रहल चाहेला। समाज के निर्माण एक दूसरा के सहयोग ,बिकाश ,सुख-दुःख में साथ देवे आ बिभिन्न प्रकार के आफत बिपत के समय ,काल परिस्थिति के अनुरूप आपसी छलफल से निपटे खाती मानवता के परम पवित्र सूत्र से बाँधी के होला। जब केहु आदमी एह सूत्र के कवनो बिधि से क्षिति पहुँचावेला या पहुँचावे के दुष्प्रयाष करेला अथवा मानव संस्कृति, भूगोलीय क्षेत्र, भाषा या रहन-सहन के आधार प निर्मित देश ,काल ,नियम ,कानून के रूप गुण,मौलिक सिद्धांत चाहे खुद अपना के भी क्षति पहुँचावे के प्रयास करेला या पहुँचावेला अपराध कहाला|अपराध के हिंदी में दंडाभियोग उर्दू में جرمअंग्रेजी में crimeनेपाली में कसूर आदि नाम से जानल जाला।
अपराध के प्रकार
अपराध के मुख्य रूप से तीन गो श्रेणी में बाँटल जा सकेला |