पाब्लो पिकासो (25 अक्टूबर 1881 – 8 अप्रैल 1973) स्पेनी पैदाइश वाला एगो पेंटर रहलें जिनकर ढेर जिनगी फ्रांस में बीतल आ ऊ पेंटिंग की दुनिया में बहुत प्रसिद्धी हासिल कइलें। बीसवीं सदी क एगो महत्वपूर्ण कलाकार के रूप में पेंटिंग में ऊ 'घनवाद' आ 'कोलाज' के जन्मदाता कहल जालन। ले देमोइज़ेल द'एविनो, गुएर्निका (1937) आ 'द वीपिंद वुमन' (1937) उनकर प्रसिद्ध पेंटिंग के रूप में जानल जालीं। गुएर्निका नाम के पेंटिंग में ऊ दूसरका विश्व युद्ध के भयावहता के चित्रण कइले रहलन।

Quick Facts पाब्लो पिकासो, Born ...
पाब्लो पिकासो
Thumb
1904 में पाब्लो पिकासो
Born
पाब्लो डिएगो खोसे फ्रांसिस्को डे पॉवला जुआन नेपोमुचिनो मारिया दे लॉ रेमेदियो सिप्रियानो दे ला सांतिस्मा ट्रिनिडाड रुइज़ पिकासो[1]

(1881-10-25)25 अक्टूबर 1881
मलागा, स्पेन
Died8 अप्रैल 1973(1973-04-08) (उमिर 91)
मूजिन, फ्रांस
Resting placeशटेवू ऑफ वॉवेनार्ग्यू
43.554142°N 5.604438°E / 43.554142; 5.604438
Nationalityस्पेनी
Educationखोसे रुइज़ ब्लास्को (पिता),
रियल एकेडमिया डे बेलास आर्तेस डे सां फरनांदो
Known forपेंटिंग, रेखांकन, शिल्पकारी, लेखन
Notable workले देमोइज़ेल द'एविनो
गुएर्निका (1937)
द वीपिंद वुमन (1937)
Movementअतियथार्थवाद, घनवाद
Spousesओल्गा खोखलोवा (1918–55)
जैक़लिन रोक़ (1961–73)
Close

बीसवीं सदी के पहिला दसक में ऊ आपन पुरान पारंपरिक शैली के छोड़ि के तमाम दूसर विचार आ सिद्धांतन के लेके प्रयोग शुरु कइलें। एह रचनाकाल में पेंटर हैनरी मैटिस उनकरा के पेंटिग में रेडिकल तकनीक इस्तेमाल करे खातिर प्रेरित कइलें। ए दौर में इ दूनों कलाकारन के बीच प्रतिस्पर्धा के वजह से कला जगत के बहुत नायाब चीज हासिल भइली स। एही से आधुनिक कला में ए दूनों कलाकारन के अगुवा मानल जाला।[2][3][4][5]

जीवनी

पिकासों के जनम स्पेन के शहर में भइल रहे। उनकर पिता डोन खोसे रुइज़ ब्लास्को एगो मशहूर चित्रकार रहलन आ उनक उनकी माता मारिया पिकासो लोपेज़ जेनोआ इलाके क एगो इतालवी मूल के परिवार से रहली। पिकासो के धार्मिक दीक्षा कैथोलिक रीति से भइल रहे बाकी ऊ बाद में नास्तिक हो गइल रहलें। पिकासो के पिता खुद एगो पेंटर रहला के साथे साथ चित्रकला क प्रोफेसर भी रहलन । चित्रकला क ओर पिकासों के झुकाव लरिकइए में लउक गइल रहे। उनकरा महतारी के मुताबिक पिकासो के मुंह से पहिलका शब्द 'पिज़' 'पिज़' निकलल रहे। 'पिज़' के स्पेनिस में पेन्सिल कहल जाला। पिकासो जब सात साल के रहलन त उनकर पिता उनकरा के चित्रकला में बकायदा प्रशिक्षण देबे शुरू कइ देहलें।

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पाब्लो पिकासो, 1953.

1891 में पिकासो के पिता स्पेन के शहर 'ला कोरुना' आ गइलें। इहवां उ स्कूल ऑफ फाइन आर्ट के प्रोफेसर क रूप में काम शुर कइलें। ए शहर में ऊ परिवार के साथे चार साल बितवलें। उहवें उनका के पिकासो के प्रतिभा क पता चलल। एक दिन ऊ आपन अधूरा पेंटिंग में पिकासो के रंग भरत देखलन। पिकासो के हाथ में एतना सफाई रहे कि उनकर पिता अपना बेटा के अपनो से आगे मान लिहलें आ ओकरा बेद से खुद पेंटिंग कइल छोड़ दिहलें।

1895 में पिकासो के छोट बहिन के डिप्थिरिया के वजह से देहांत हो गइल। ए दुखद घटना से पिकासो के बालक मन पर बड़ा गहरा सदमा पहुंचल। एह घटना के बाद उनकर पिता अपना परिवार क साथे स्पेन के शहर बार्सिलोना आ गइलें आ उहवां के स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स में प्रोफेसर के रूप में अध्यापन कार्य शुरू कइलें। इहवां ऊ अकादमी के अधिकारी लोगन से पिकासो के उच्च प्रशिक्षण में दाखिला खातिर निवेदन कइलें। अकादमी में दाखिला खातिर इम्तिहान आ मौखिक सवाल-जवाब के जवन औपचारिकता के पूरा करे में दूसर छात्रन के महीना दिन के समय लाग जात रहे ओकरा के पिकासो एके हफ्ता में पूरा कइ दिहलें आ मात्र 14 बरिस के उमिर में उनकर ए अकादमी में दाखिला हो गइल। पिकासो इहवां ओइसे त अनुशासन के मामला में खरा ना उतरलें बाकी इहवां उनकर कइगो दोस्त मित्र जरूर मिललें जवन उनकरा पेंटिंग शैली आ सोच के जिनगी भर प्रभावित कइलें।

कामकाज

साल 1900 में पिकासो पेरिस आ गइलें। पेरिस को ओ समय यूरोप में कला के केंद्र मानल जात रहे। अपना जीवन काल के एह समय में ऊ भांड़न, मसखरन आ गिटारवादकन के चित्र बनवलें। साल 1906 में आपन मशहूर पेंटिग 'एविगनन की महिलाएं' पर काम शुरू कइलें आ एक बरिस के मेहनत के बाद एकरा के बना के पूरा कइलें। साल 1909 में पिकासो पेंटिंग में घनवाद सिद्धांत के जनम दिहलें आ ओकर सैद्धांतिक ढांचा खड़ा कइलें। उनकर ई शैली अगिला 60-70 बरिस तक बहस आ चर्चा क विषय बनल रहे जवन दुनिया भर के कलाकारन के प्रभावित कइलस। ए शैली में पिकासो हर किसिम के रंग आ रेखांकन के प्रयोग कइलन। पिकासो एह कालखंड में मशहूर कलाकार एंग्रेस के पेंटिंग में खास दिलचस्पी लिहलें आ एही प्रभाव में औरतन पर कइगो पेंटिंग कइलन।

शैली

पिकासो अपना जिनिगी तकरीबन 50,000 कलाकृतियन के निर्माण कइलन। पिकासो ओइसे त कला के कइगो क्षेत्र में महारत हासिल कइलें बाकी उनकरा के असली सफलता पेंटिंग में मिलल रहे। अपना पेंटिग में उ रंग से जेयादा रेखांकन पर जोर देत रहलन। कई बेर ऊ आपन पेंटिग में टेक्सचर बनावे खातिर बालू के प्रयोग भी करत रहलें। उ अपना पेंटिंग बनावे में कौनो माॉडल आ दृश्य से प्रेरणा लेबे के बजाय अपना यादाश्त आ स्मृति के इस्तेमाल करत रहलें।

राजनीतिक विचार

पिकासो राजनीतिक विचारधारा क मामला में मूल रूप से मानवतावादी रहलें। ऊ जीवन भर अत्याचार आ अन्याय के विरोध कइलें। साल 1944 में पिकासो फ्रांस के कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बन गइलें। स्टालिन के विचारधारा के समर्थन के वजह से उनका के खई बेर विरोध के सामना करे के पड़ल। उनकर आलोचक उनकरा पर ई कहिक भी वैचारिक हमला कइलें कि पिकासो मार्क्स आ एंगेल्स के कवनो किताब पढ़लहीं बिना कम्युनिस्ट कइसे बनि गइलें। उनकरा के कम्युनिस्ट विचारधारा के ककहरो ना मालूम रहे। बाकी पिकासो जिनिगी भर इ कहत रहि गइलें कि ऊ कम्युनिस्ट ङउवन आ उनकर पेंटिग कम्युनिस्ट विचारधारा के पेंटिग हई सs।[6]

पिकासो अपना विचारधारा खातिर स्वेच्छा से देस निकाला स्वीकार क लिहलें आ कसम खइलें कि जबतक स्पेन में रिपब्लिकन शासन ना स्थापित हो जाई तब तक ऊ देस ना लवटिहें। पिकासो अपना पेंटिग से जिनिगी में बेहिसाब दौलत कमइलें। आज तक इतिहास में कवनो कलाकार भा रचनाकार के इ सौभाग्या प्राप्त ना भइल। ऊ निजी पेंटिग आ संग्रह खातिर मुहमांगा फीस वसूलत रहलें बाकी सार्वजनिक संग्रहालय के ऊ आपन पेंटिंग मुफ्त में दे देत रहलन।[7]

संदर्भ

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