बरफ के बिसाल भंडार जेह में ढाल अनुसार बहाव भी होखे From Wikipedia, the free encyclopedia
ग्लेशियर (अंग्रेजी: Glacier; हिंदी: हिमानी चाहे हिमनद, मने बरफ के नदी) एक तरह के बरफ के नदी होला जेवना में बरफ के ढेर अपनहीं भार की वजह से घन होके फुहा नियर बरफ ना रहि जाला आ एकर घनत्व ढेर हो जाला आ ढाल की अनुसार सरक के बहे शुरू हो जाला। ढाल की अनुसार ई पहाड़न की बिचा में बरफ की नदी नियर रूप ले लेला आ धीरे धीरे बहाव करे ला। धियान देवे वाली बात ई बा की बरफ में दबाव पड़ला पर द्रव (fluid) के गुण आ जाला जेवना कारण ई बहे लागे ला।
आमतौर पर ग्लेशियर के निर्माण अइसन इलाका में होला जहाँ सालभर में बरफ गिरले के मात्रा बरफ पघिलले की मात्रा से ढेर होखे। बाकी बहि के ई अइसन इलाका में बि आ जाला जहाँ एकर पघिलाव ढेर होला आ बरफ कम गिरेले, अइसन इलाका में ई धीरे धीरे खतम होखे लागे ला। पहाड़न पर ई घाटी में एगो निश्चित धारा के रूप ले के बहे लें बाकी ध्रुवीय इलाका में जहाँ ख़ूब ढेर बरफ एकट्ठा हो जाले उहाँ ई बरफ की मोट चद्दर की रूप में भी बहेला। पहाड़ की दुनो ढाल से बर्फ़ आ आ के घाटी में इकठ्ठा हो के अपने वजन की परभाव से नीचे की ओर धारा की रूप में बहे लागेले। धारा की रूप में ई हिमानी कई किलोमीटर लम्बा होला आ नीचे आ के जब गरम इलाका में आवेला त पघिल के पानी देला जेवना से अकसर नदी निकले ली। हिमालय पहाड़ से निकले वाली अधिकतर नद्दी कुल एही प्रकार से निकलेली। उदाहरण खातिर गंगा नदी गंगोत्री नाँव की हिमानी से निकलेली।
संसार में हिमनद ऊँच पहाड़न पर आ दुनों ध्रुव पर पावल जालें। ग्लेशियर से जुड़ल बहुत सारा जमीनी आकृति बाड़ी जिनहन के हिमनदी स्थलरूप कहल जाला। इन्हन के पढ़ाई हिमनदीय भू-आकृति बिज्ञान में होला।
ग्लेशियर के निर्माण बरफ के इकट्ठा होखे से होला। आमतौर पर ऊँच पहाड़ी हिस्सा में ऊपरी इलाका में बरफबारी होला आ एह बरफ के कुछ हिस्सा वापस हवा में उड़ जाला बाकी जवन हिस्सा बच जाला ऊ पहिले से बचल बरफ के ऊपर गला होखत जाला। एह प्रक्रिया में नीचे वाली बरफ चँतात जाले आ पघिल के दोबारा जमत जाले जेकरे कारन ई ठोस होखत जाले। अइसन बरफ के जे एकदम मजबूत ठोस अवस्था आ फुहा नियर भा रुई नियर बरफ के बीच-बीच के हालत में होखे ले, ग्लेशियर बिज्ञान में नेवे (névé उच्चारण:नेऽवेऽ) कहाले।
अइसने बरफ के एकट्ठा होखे से ग्लेशियर के निर्माण होला आ आमतौर पर ई एगो ख़ास किसिम के थलरूप सर्क चाहे कोरी में बने ला। ई सर्क, आरामकुर्सी नियर आकृति के हिस्सा होला (मने के आधा कटोरा नियर) जेह में किनारे के बरफ भी सरक के गहिरा बिचला हिस्सा में एकट्ठा होखत जाले। दब के एही सर्क सभ में ई ग्लेशियल बरफ (glacier ice) बन जाले आ ढेर मात्रा में हो जाए पर ओभरफ्लो के रूप में बह के बहरें निकले लागे ले। पहाड़ी ढाल पर ई सरक के आ बह के घाटी में एकट्ठा होखे ले आ घाटी में बरफ के बहत नदी नियर बन जाले।
समशीतोष्ण इलाका सभ में ग्लेशियर के बरफ बेर-बेर पघिलत आ जमत रहे ले आ एकरे कारन बरफ फर्न के रूप ले लेले। ग्लेशियर के बरफ ओह बरफ से कुछ कम घनत्व वाली होखे ले जवन कि पानी के जमावे से बने ले। कारन ई होला कि ग्लेशियर वाली बरफ में हवा के बहुत नखी-नखी बुलबुला भी रहे लें। ग्लेशियर के बरफ हलका निलाहूँ भा आसमानी कलर के टोन में होखे ले। अइसन रंग पानी के कण सभ द्वारा इंफ्रारेड आ लाल विकिरण के कुछ हिस्सा सोख लेवे के कारन होला। एही कारन पानीयो के रंग नीला लउके ला। ई चीज रेले स्कैटरिंग के कारण ना होखे ले जइसन कि कुछ जगह लिखल मिले ला।
ग्लेशियर वाला इलाका में, आ ग्लेशियर रुपी परिवर्तनकारी एजेंट के कार्य से कई किस्म के थलरूप सभ के निर्माण होला। एह सभ के अध्ययन करे वाली शाखा के ग्लेशियल भूआकृतिबिज्ञान कहल जाला। एह में से कुछ के संछेप में परिचय नीचे दिहल गइल बा:
नीचे कुछ प्रमुख अइसन ग्लेशियर सभ के लिस्ट दिहल गइल बा जे ध्रुवीय इलाका के बहरें बाड़ें। इनहन के अल्पाइन ग्लेशियर कहल जाला आ ध्रुवीय इलाका के बाहर के परिभाषा आमतौर पर 60 उत्तर से 60डिग्री दक्खिन अक्षांश तक मानल जाला, हालाँकि कुछ जगह [2] एह परिभाषा के कुछ अउरीयो बढ़ा के बतावल जाला:
मंगलो ग्रह पर पृथिविये नियर, दुनो ध्रुव सब पर, बर्फानी टोपी (आइस कैप) पावल जालीं आ एह इलाकन में ग्लेशियर से होखे वाला भूबैज्ञानिक जमाव (ग्लेशियल डिपोजिट्स) के सबूत मिले लें। मंगल के दक्खिनी ध्रुव के बर्फीली टोपी ख़ास रूप से पृथ्वी के ग्लेशियर सभ तुलना करे जोग बाटे।[5] टोपोग्राफिक फ़ीचर आ कंप्यूटर मॉडल अइसन संकेत देवे लें कि मंगल ग्रह पर इतिहास में, मने की पुराना समय, में अउरियो ग्लेशियर रहल होखिहें जे अब खतम हो चुकल बाड़ें।[6] मध्य अक्षांस सब में, 35° आ 65° उत्तर आ दक्खिन के बीचा में, मंगल ग्रह के ग्लेशियर सब एकरे पातर वायुमंडल से परभावित बाड़ें कम हवा दाब के चलते ग्लेशियर के एब्लेशन के घटना आ प्रासेस, सतह के लगे, खाली भर सब्लिमेशन से होखे ला, पघिलाव से नाहीं। पृथिविये के नियर, बहुत सारा ग्लेशियर सब एहिजो अइसन चट्टान के कभर वाला पावल जालें जे गर्मी खातिर चालक ना होखे लीं। मंगल पर भेजल अभियान मार्स रिकन्सेस ऑर्बिटर चट्टान के पातर लेयर के नीचे बरफ के ग्लेशियर लोबेट डेब्रिस एप्रोन (LDAs) के खोज कइलस।[7][8][9][10][11]
नीचे दिहल गइल फोटो सभ देखावत बाड़ें कि मंगल ग्रह के ग्लेशियर सभ पृथिवी से तुलना में एही के ग्लेशियर नियन बाड़ें:
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