द्विपद नामपद्धति
जीवों के वैज्ञानिक नामकरण की पद्धति / From Wikipedia, the free encyclopedia
वर्गिकी में, द्विपद नामकरण या द्व्याधारित नामकरण, जीवों की जातियों के नामकरण की एक औपचारिक पद्धति है, जिसमें प्रत्येक को दो भागों से बना नाम दिया जाता है, जिनमें से दोनों लातिन व्याकरणिक रूपों का प्रयोग करते हैं, यद्यपि वे अन्य भाषाओं (जैसे संस्कृत) के शब्दों पर आधारित हो सकते हैं। ऐसे नाम को द्विपद नाम, द्विनाम या वैज्ञानिक नाम कहा जाता है
यह लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |
अध्ययन को सरल करने हेतु अनेकों जीववैज्ञानिकों ने प्रत्येक ज्ञात जीव को वैज्ञानिक नाम देने की प्रक्रिया बनाई है। इस प्रक्रिया को विश्व में सभी जीव वैज्ञानिकों ने स्वीकार किया है। पौधों हेतु वैज्ञानिक नाम का आधार सर्वमान्य नियम तथा कसौटी है, जिनको शैवाल, कवक एवं पादपों हेतु नामकरण का अन्तर्राष्ट्रीय संहिता (ICNafp) में दिया गया है। प्राणी वर्गिकीविदों ने प्राणीवैज्ञानिक नामकरण का अन्तर्राष्ट्रीय संहिता (ICZN) बनाया है। वैज्ञानिक नाम की यह प्रत्याभूति है कि प्रत्येक जीव का एक ही नाम रहे। किसी भी जीव के वर्णन से विश्व में किसी भी भाग में लोग एक ही नाम बता सके। वे यह भी सुनिश्चित करते हैं कि एक ही नाम किसी दूसरे ज्ञात जीव का न हो।
जीव वैज्ञानिक ज्ञात जीवों के वैज्ञानिक नाम देने हेतु सार्वजनिक मान्य नियमों का पालन करते हैं। प्रत्येक नाम के दो घटक होते हैं: वंश तथा जाति संकेत पद। इस नामकरण प्रणाली को कार्ल लिनेयस ने सुझाया था। उदाहरणार्थ, आधुनिक मानव वंश होमो से सम्बन्धित हैं और इस वंश के भीतर होमो सेपियंस (मनुष्य) जाति के हैं।