अभिव्यंजनावाद
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अभिव्यञ्जनावाद (Expressionism) इटली, जर्मनी और आस्ट्रिया से प्रादुर्भूत प्रधानतः मध्य यूरोप की एक चित्र-मूर्ति-शैली है जिसका प्रयोग साहित्य, नृत्य और सिनेमा के क्षेत्र में भी हुआ है। अभिव्यञ्जनावाद एक आधुनिकतावादी आन्दोलन था जो २०वीं शताब्दी के आरम्भ में जर्मनी से आरम्भ हुआ था। पहले यह काव्य (पोएट्री) और चित्रकला के क्षेत्र में आया था। सिद्धान्त रूप में इसका साहित्यिक प्रतिपादन इटली के विचारक बेनेदितो क्रोचे ने किया। क्रोचे के अनुसार "अंतःप्रज्ञा के क्षणों में आत्मा की सहजानुभूति ही अभिव्यंजना है"। कला के क्षेत्र में इसे आवाँ गार्द (avant-garde/अग्रगामी) के रूप में जाना जाता है।
अभिव्यंजनावाद की मूल संकल्पना है कि कला का अनुभव बिजली की कौंध की तरह होता है, अतः यह शैली वर्णनात्मक अथवा चाक्षुष न होकर विश्लेषणात्मक और आभ्यान्तरिक होती है। उस भाववादी (इंप्रेशनिस्टिक) शैली के विपरीत जिसमें कलाकार की अभिरुचि प्रकाश और गति में ही केंद्रित होती है। यहीं तक सीमित न होकर अभिव्यंजनावादी प्रकाश का प्रयोग बाह्म रूप को भेद भीतर का तथ्य प्राप्त कर लेने, आन्तरिक सत्य से साक्षात्कार करने और गति के भावप्रक्षेपण आत्मान्वेषण के लिए करता है। वह रूप, रंगादि के विरूपण द्वारा वस्तुओं का स्वाभाविक आकार नष्ट कर अनेक आंतरिक आवेगात्मक सत्य को ढूँढ़ता है।