भुजंगासन
From Wikipedia, the free encyclopedia
इस आसन में शरीर की आकृति फन उठाए हुए भुजंग अर्थात सर्प जैसी बनती है इसीलिए इसको भुजंगासन या सर्पासन (संस्कृत: भुजंगसन) कहा जाता है।
भुजंगासन सुर्य नमस्कार के 12 आसनों में 7 वे नंबर आनेवाला एक आसन हैं, भुजंगासन में ' भुजंग ' का अर्थ होता हैं, साप और' आसन ' का अर्थ होता हैं, योग मुद्रा। इस आसन को करते वक्त फन फैलाये हुऐ साप की तरह शरीर की आकृति बनती हैं, इसिलिए इसे यह नाम दिया गया हैं। भुजंगासन पदमासन का एक महत्वपूर्ण आसन हैं, इसे सर्पासन भी कहते है, और यह अष्टांग योग का भी एक प्रमुख आसन हैं, अंग्रेजी में इसे कोबरा पोज ( cobra pose ) कहते हैं।
~~ सावधानी ~~ इस आसन को करते समय अकस्मात् पीछे की तरफ बहुत अधिक न झुकें। इससे आपकी छाती या पीठ की माँस-पेशियों में खिंचाव आ सकता है तथा बाँहों और कंधों की पेशियों में भी बल पड़ सकता है जिससे दर्द पैदा होने की संभावना बढ़ती है। पेट में कोई रोग या पीठ में अत्यधिक दर्द हो तो यह आसन न करें
- यह आसन हर्निया के बिमारी में नहीं करना चाहिए।
- पीठ में चोट या फेंकचर हो तो भी यह आसन नहीं करना चाहिए।
- कर्पल टनल सिंंड्रोम में यह आसन नहीं करना चाहिए।
- पेट के नीचले हिस्से में सर्जरी हुई हो तो यह आसन ना करें।
- सिर दर्द मेंं भी यह आसन ना करेंं।
- यह आसन करते वक्त हमेशा कभी कमर को झटका नहींं देना चाहिए।