बेसल नाभिक
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बेसल गैन्ग्लिया (अथवा बेसल नाभिक) रीढ़धारी जीवों के मस्तिष्क में स्थित विभिन्न मूल के नाभिकों का एक समूह है (अधिकांश भ्रूणीय मूल के टेलेंसिफेलिक होते हैं जबकि कुछ अन्य डाइएन्सिफेलिक एवं मीजेन्सिफेलिक तत्व होते हैं) जो एक संयुक्त कार्यात्मक इकाई के रूप में कार्य संपादन करते हैं। वे मस्तिष्क के अग्र भाग के आधार क्षेत्र में स्थित होते हैं और सेरेब्रल कॉर्टेक्स, थैलेमस तथा मस्तिष्क के अन्य क्षेत्रों से मजबूती से जुड़े होते हैं। बेसल गैन्ग्लिया विभिन्न कार्यों से जुड़े होते हैं, जिनमे स्वैच्छिक गतिशीलता नियंत्रण, दैनिक आचरण अथवा "आदतों" से संबंधित प्रक्रियात्मक शिक्षण, आँख की हलचल,[1] संज्ञानात्मक एवं भावुक कार्य शामिल हैं।[2] वर्तमान में लोकप्रिय सिद्धांत बेसल गैन्ग्लिया को मुख्यतः क्रिया चयन के लिए जिम्मेदार मानते हैं, अर्थात इस बात का निर्णय करना कि एक समय पर विभिन्न संभव व्यवहारों में से किसे करना है।[1][3] प्रयोगात्मक अध्ययन दर्शाते हैं कि बेसल गैन्ग्लिया कई गतिशील तंत्रों पर निरोधात्मक प्रभाव डालते हैं और इस निरोधी प्रभाव के हटते ही गतिशील तंत्र सक्रिय हो जाता है। बेसल गैन्ग्लिया में "व्यवहार का बदलना" मस्तिस्क के कई हिस्सों से प्रसारित होने वाले संकेतों से प्रभावित होता है, जिसमें सम्मिलित है प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स जो कि कार्यकारी कामों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।[2][4]
बेसल गैन्ग्लिया के मुख्य घटक हैं- स्ट्रिएटम जिसे निओस्ट्रिएटम भी कहते हैं और जो कॉडेट एवं पुटामेन से बना होता है, ग्लोबस पैलिडस या पैलिडम जो ग्लोबस पैलिडस एक्सटर्ना (जीपीइ) या ग्लोबस पैलिडस इंटर्ना (जीपीआई) से बना होता है, सब्सटैंशिया निग्रा जो सब्सटैंशिया निग्रा पार्स कॉम्पेक्टा (एसएनसी) एवं सब्सटैंशिया निग्रा पार्स रेटिकुलाटा (एसएनआर) से मिलकर बना होता है और सबथैलेमिक नाभिक (एसटीएन).[5] स्ट्रिएटम, जो सबसे बड़ा घटक है, कई मस्तिष्क क्षेत्रों से इनपुट प्राप्त करता है लेकिन केवल बेसल गैन्ग्लिया के अन्य घटकों को ही आउटपुट भेजता है। पैलिडम सबसे महत्वपूर्ण इनपुट स्ट्रिएटम से (परोक्ष अथवा अपरोक्ष रूप में) प्राप्त करता है और निरोधात्मक आउटपुट गतिशीलता से संबंधित कई क्षेत्रों को भेजता है, जिसमें सम्मिलित है थैलेमस का हिस्सा जो कॉर्टेक्स के गतिशीलता से संबंधित क्षेत्रों को उभारता है। रेटिकुलाटा (एसएनआर) जो सब्सटेंशिया निग्रा का एक भाग है, वह पैलिडम की ही तरह कार्य करता है, एवं कॉम्पेक्टा नामक दूसरा हिस्सा स्ट्रिएटम को न्यूरो ट्रांसमीटर डोपामिन स्रोत का इनपुट प्रदान करता है। सबथैलेमिक नाभिक (एसटीएन) मुख्य रूप से स्ट्रिएटम तथा कॉर्टेक्स से इनपुट प्राप्त करता है और पैलिडम के हिस्से (आंतरिक भाग या जीपीआई) को भेज देता है। इन क्षेत्रों में से प्रत्येक में एक आंतरिक संरचनात्मक और न्यूरो-रासायनिक संगठन होता है।
विभिन्न तंत्रिका अवस्थाओं, जिनमे कई गतिशीलता से जुड़े विकार हैं, में बेसल गैन्ग्लिया केंद्रीय भूमिका निभाता है। सबसे उल्लेखनीय हैं, पार्किंसंस रोग, जिसमे सब्सटेंशिया निग्रा पर कॉम्पेक्टा (एसएनसी) में मेलानिन पिग्मेंटेड डोपामिन उत्पादक कोशिकाओं का पतन होता है और हंटिंगटन्स विकार जिसमे मूलतः स्ट्रिएटम क्षतिग्रस्त होती हैं।[1][5] कुछ व्यव्हार नियंत्रण से जुड़े विकारों में बेसल गैन्ग्लिया की अकार्यक्षमता अवस्था भी पाई जाती है, जैसे कि, टोरेट्स सिंड्रोम में, बेलिस्मस (विशेष रूप से हेमी हेमिबेलिस्मस), जुनूनी बाध्यकारी विकार (ओसीडी), एवं विल्सन रोग (हेपाटोलेंटिकुलर पतन). विल्सन रोग और हेमी बेलिस्मस विकार के आलावा पार्किन्संस विकार एवं हंटिंगटन्स विकार से संबंधित न्यूरो पैथोलॉजी तंत्रों को ठीक प्रकार से समझा नहीं जा सका है अथवा वे अब भी विकासशील सैद्धांतिक अवस्था में ही हैं।
बेसल गैन्ग्लिया में एक हाथ-पैरों कि तरह दिखाई देने वाला क्षेत्र होता है जिसके अवयवों को अलग - अलग नाम दिए गए हैं- नाभिक एकम्बेंस (एन ए), वेंट्रल पैलिडम और वेंट्रल टेगमेंटल क्षेत्र (वीटीए). (वीटीए) एफेरेंट्स नाभिक एकम्बेंस को उसी तरह डोपामिन प्रदान करते हैं जिस तरह सब्सटैंशिया निग्रा डोर्सल (पृष्ठीय) स्ट्रिएटम को डोपामिन प्रदान करती है। चूँकि ऐसे बहुत सारे साक्ष्य हैं जो दर्शाते हैं कि दुर्लभ अध्ययन में इसकी केंद्रीय भूमिका होती है, अतः वीटीए → एनए के डोपामिनेर्जिक प्रक्षेपण ने बड़ी संख्या में इस ओर ध्यान आकर्षित किया है। उदाहरण के लिए, कई अत्यधिक नशे वाली दवाएँ जिनमें कोकीन, एम्फिटामिन्स एवं निकोटिन सम्मिलित हैं, इनके बारे में समझा जाता है कि वे वीटीए → एनए डोपामिन संकेत कि प्रभावकारिता को बढ़ाकर कार्य संपादन करती है। इस बात के भी सबूत हैं कि पागलपन में वीटीए → एनए डोपामिनेर्जिक प्रक्षेपण अति उत्तेजना पर प्रभावी है।[6]