परासरण
एक रसायनिक अभिक्रिया / From Wikipedia, the free encyclopedia
परासरिता अथवा ओसमोसिस (Osmosis, (/ɒzˈmoʊsɪs/, /{{{2}}}ɒs-/)[1] विलायक अणुओं का विशिष्ट पारगम्य झिल्ली के माध्यम से उच्च जल विभव (निम्न विलय सांद्रता क्षेत्र) से निम्न जल विभव (उच्च विलय सांद्रता क्षेत्र) की तरफ स्वतः विसरण अथवा शुद्ध संचलन कहलाता है।[2] इसमें झिल्ली के दोनों तरफ विलय की सांद्रता समान हो जाती है।[3][4][5] इस प्रक्रिया को ऐसे भी समझाया जाता है कि जब हम किसी विशिष्ट पारगम्य झिल्ली से दो अलग-अलग सांद्रता के विलयनों को अलग अलग करते हैं जिसमें झिल्ली को विलायक पार कर सकता है लेकिन विलय नहीं, उस स्थिति में दोनों तरफ सांद्रता समान करने के लिए विलय के स्थान पर विलायक अणु विसरण करते हैं।[6][7] ओसमोसिस से कार्य प्राप्त किया जा सकता है।[8] परासरण दाब उस बाहरी दाब को कहते हैं जिसकी स्थिति में झिल्ली में को विसरण नहीं होगा। परासरण दाब अणुसंख्य गुणधर्म है अर्थात् परासरिता दाब विलय की मोलर सांद्रता पर निर्भर करता है लेकिन इसकी प्रकृति पर नहीं।