अनवर होजा
बीसवीं सदी के अलबानियन नेता और साम्यवादी काल के महान नेता / From Wikipedia, the free encyclopedia
अनवर ख़लील होजा[1] (अल्बानियाई: Enver Halil Hoxha); 16 अक्टूबर 1908- 11 अप्रैल 1985) [2] अल्बानियाई कम्युनिस्ट राजनेता थे, जिन्होंने अल्बानिया के राज्य के प्रमुख के रूप में 1944 से 1985 (उनकी मृत्यु) तक, अल्बानिया के श्रम विभाग के पहले सचिव के रूप में काम किया। इसी समय के दौरान वे अल्बानिया के डेमोक्रेटिक फ्रंट के अध्यक्ष और से सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ थे। उन्होंने 1944 से 1954 तक अल्बानिया के 22वें प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया और कई बार विदेश मंत्री और रक्षा मंत्रीका पद भी सम्भाला।
अनवर होजा
Enver Hoxha | |
---|---|
First Secretary of the Party of Labour of Albania | |
पूर्वा धिकारी | पद स्थापित हुआ |
उत्तरा धिकारी | Ramiz Alia |
अल्बानिया के 22nd प्रधानमंत्री | |
राष्ट्रपति | Omer Nishani Haxhi Lleshi |
सहायक | Myslim Peza Koçi Xoxe Mehmet Shehu |
पूर्वा धिकारी | Ibrahim Biçakçiu |
उत्तरा धिकारी | Mehmet Shehu |
अल्बानिया के विदेश मंत्री | |
प्रधानमंत्री | स्वयं |
पूर्वा धिकारी | Omer Nishani |
उत्तरा धिकारी | Behar Shtylla |
जन्म | 16 अक्टूबर 1908 Ergiri (Gjirokastër), Janina Vilayet, उस्मनिया सल्तनत |
मृत्यु | 11 अप्रैल 1985(1985-04-11) (उम्र 76) तिराना, अल्बानिया |
समाधि स्थल | People's Cemetery, तिराना, अल्बानिया |
जन्म का नाम | अनवर ख़लील होजा (Enver Halil Hoxha) |
राष्ट्रीयता | अल्बानियाई |
राजनीतिक दल | अल्बानिया की मज़दूर पार्टी |
जीवन संगी | Nexhmije Xhuglini (वि॰ 1945; his death 1985) |
बच्चे |
|
शैक्षिक सम्बद्धता | University of Montpellier Free University of Brussels |
हस्ताक्षर | |
उन्होंने राजा ज़ोग का तख़्तापलट करके अल्बानिया में साम्यवादी सरकार स्थापित की थी।
"समाजवादी अल्बानिया के 40 वर्ष" किताब 1984 में छपी थी। इसमें यह बताया गया है कि कैसे अपने चार-दशक (1945-1984) के शासन के दौरान, होजा ने देश का पुनर्निर्माण किया, जबकि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अल्बानिया खंडहर हो गया था। साथ ही साथ बताया गया है कि अल्बानिया की पहली रेलवे लाइन का निर्माण, वयस्क साक्षरता दर को 5% से ऊपर उठाकर 98% तक लाना, महामारी का सफाया, देश का विद्युतीकरण और प्रमुख रूप से अल्बानिया कृषि-आत्मनिर्भर बनने की ओर होजा ने काम किया। [3] [4] किंतु राजनीतिक दमन करने के लिए उनकी आलोचना होती है, जिससे तात्पर्य मजबूर श्रम शिविरों, ग़ैरन्यायिक हत्याओं और फांसी का प्रयोग करके साम्यवाद-विरोधियों का सफाया करने से है। इसमें से एक बड़ी संख्या में ऐसे अपराध सिगुरिमि नाम की गुप्त पुलिस से करवाए जाते थे।
होजा की सरकार 1970 के दशक के मध्य से संशोधनवाद-विरोधी मार्क्सवाद-लेनिनवाद के प्रति अपनी घोषित दृढ़ता का पालन करने के लिए ख़ास तौर से जानी जाती थी। इस कारण जोसेफ़ स्टालिन की मौत के बाद, निकिता ख़्रुश्चेव ने जब सोवियत संघ की नीतियों में बदलाव लाने की कोशिश की, तो उन्होंने तब तक के अपने देश के सबसे घनिष्ठ मित्र सोवियत संघ को आड़े हाथों ले लिया। इसी के साथ उन्होंने चीन और सोवियत संघ में चल रहे तत्कालीन झगड़े में चीन का साथ दिया, जिस कारण सोवियत-अल्बानिया रिश्तों में घुली खटास का सीधा फ़ायदा चीन को पहुँचा। किंतु यह मित्रता भी ज़्यादा समय नहीं टिक सकी, क्योंकि होजा के मुताबिक़ चीन भी साम्यवाद के आदर्शों से दूर हटकर जा रहा था।
1976-1978 के दौर में माओवाद के साथ उनके टूटने के बाद, दुनिया भर के कई माओवादी दलों ने खुद को होजावादी घोषित किया।इनमें से सर्वाधिक लोकप्रिय मार्क्सवादी-लेनिनवादी पार्टियों और संगठनों (एकता और संघर्ष) का अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन है।
इस प्रकार 70 के दशक के अंत में साम्यवादी दुनिया में अल्बानिया की चीन और सोवियत संघ दोनों से दुश्मनी हो गयी। दुनिया से अलग-थलग पड़ने की वजह से देश की अर्थव्यवस्था चरमराने लगी। सोवियत संघ और अमेरिका ने बाद में होजा को मनाने की कोशिश भी की, किंतु वे नहीं माने। बल्कि उन्होंने पश्चिमी-यूरोपीय देशों से मित्रता बढ़ानी शुरू कर दी। उनका लक्ष्य यह था कि अल्बानिया को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बना दें। किंतु वैश्वीकरण के युग में उनकी ये सोच दक़ियानूसी साबित हुई।
अपने तानाशाही स्वभाव के कारण उन्हें कोई भी अलग सलाह मंज़ूर नहीं होती थी, ख़ासकर कि अपने आख़िरी दिनों में। इसके चलते वे अपने "प्रतिद्वंदियों" को रास्ते से हटा देते थे।